जय गोविन्द गोपाला, मनमोहन मुरली वाला।
हे! नटवर गोपाला, घनश्याम नन्द के लाला॥
तू है नटवर नाग कालिया, तूने नाथ दिखाया।
असुर शक्तियों से भी तुमने, जग को मुक्त कराया॥
हम भी हों तेरे अनुगामी, जपें न केवल माला॥
जो भी यज्ञभूमि में आया, तुमने पाँव पखारे।
विनयशीलता के सेवा के, अद्भुत कार्य तुम्हारे॥
यही भाव हम भी पा जायें, हो जग में उजियाला॥
निश्छल मन के ग्वाल- बाल के, भोजन तुमको भाये।
अन्यायी की रुची न मेवा, शाक सन्त के खाये॥
देवसंस्कृति- सदाचार का, तू सच्चा रखवाला॥