प्रेम उमंगें खुशियाँ लाया, दीपों का त्यौहार।
हृदय- हृदय से दीप जलाकर, बाँटो नव उपहार॥
सूरज- चन्दा छिप जायें तो, दीपक सा आलोक बिखेरें।
अन्धकार अज्ञान मिटाने, शिव- सा विष का प्याला पीलें॥
बढ़े कदम अब नहीं रुकेंगे, इसका करो प्रसार॥
दीपावली मनायें हम सब, संकल्पों को धारण कर।
खुशियाँ बाँटें हम आपस में, दुःखीजनों के आँसू पीकर॥
तभी बनेगा यह पावन दिन, समता का त्यौहार॥
डरें नहीं घनघोर रात्रि से, यह सन्देश दिवाली देता।
आश रखें उज्ज्वलभविष्य की, नन्हा दीपक भी कह देता॥
रामराज्य निश्चित आयेगा, होगा जग उद्धार॥