सन्देश नया कुछ लाया, यह ज्योति पर्व है आया।
दीपक सा जीवन जी लो, यह मर्म सिखाता आया॥
पात्रता सुदीप बना लो, शुभ लगन वर्तिका डालो।
शुभ स्नेह भाव सरसालो, तो ज्योति दान भी पा लो॥
दीपक कहकर मुस्काया, साधक के मन को भाया॥
सूरज को छिप जाने दो, चन्दा को सुस्ताने दो।
तारागण दमक रहे हैं, हमको भी मुस्काने दो॥
दीपक दल आगे आया, तो दीपावली कहाया॥
मत सकुचो आगे आओ, घर घर प्रकाश पहुँचाओ।
अँधियारे को धकियाओ, भटकों को राह दिखाओ॥
जीवन को धन्य बनाया, झिममिल चमकेगी काया॥
सद्भाव विवेक बढ़ा लो, पावन पुरुषार्थ जगा लो।
उल्लास उमंगे बाँटो, शुभ दीप भाव अपनालो॥
जिसको यह जीवन भाया, उसको प्रभु ने अपनाया॥
मुक्तक-
सदा जलते रहो साथी!, यही सन्देश दीपक का।
प्रकाशित हों सभी के मन, हरो अन्धियार इस जग का॥