मस्ती में झूम जाओ, होली सुहानी आयी।
कुमकुम अबीर रोली, सबके दिलों को भायी॥
गाओ धमाल सबमिल, सोयी उमंग जागे।
डालो गुलाल ऐसा, मन का मलाल भागे॥
सद्भाव की निराली, मनहर कली खिलाई।
नीले गुलाबी पीले, मुखड़े सफेद काले।
बाकी रहे न कोई, सबको गले लगा लें॥
होली खिलाने आयी, समता की रस मलाई॥
मिलकर मनाओ खुशियाँ, दुनियाँ के गम भुलाओ।
पिचकारियों की धुन पर, होली के गीत गाओ॥
बालक, जवान, बूढ़े, सब पर बहार आई॥
उल्लास हर मनों में, मधु गन्ध भर रहा है।
रंग दो धरा का आँचल, आकाश कह रहा है॥
उज्ज्वल भविष्य सन्मुख, ही दे रहा दिखाई॥
फागुन का पर्व प्यारा, रंगो का पर्व न्यारा।
कोई उदास बैठे, हमको नहीं गँवारा॥
सबके दिलों में हलचल, इस पर्व ने मचाई॥