सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् तुम्हीं हो,
हे शिव हमारा उद्धार करना।
हैं वन्दना के स्वर ये हमारे,
हे नाथ! इनको स्वीकार करना॥
रची है तुमने ये सारी सृष्टि,
तुम्हीं ने दी है ये हमको दृष्टि।
इतनी कृपा और कर दो दाता,
हम देख पायें हर कर्म अपना॥
देवों को तुमने अमृत दिया था,
विषपान हँसकर खुद कर लिया था।
परहित की ऐसी ही भावना हो,
प्रभु हमारे ही मन में भरना॥