शुभ दिवाली आ गई, दीपक जले।
घर के आँगन द्वारे- द्वारे अनगिनत दीपों के जैसे॥
मन खिले- मन खिले॥
श्री गजानन- लक्ष्मी का वन्दन करें, वन्दन करें।
उनके भाल पे तिलक और चन्दन धरें, चन्दन धरें॥
श्रद्धा से पूजें इन्हें, खुशियाँ मिलें, खुशियाँ मिलें॥
मातु भगवति पूज्यवर का ध्यान कर, नित ध्यान कर।
देवी माँ को पूजकर, कल्याण कर, कल्याण कर॥
ज्योतिमय जीवन तेरा, फूले फले, फूले फले॥
अवधवासी सा बनालें, अपना मन, हाँ अपना मन।
ध्यान धर श्रीराम लौटे हैं भवन, लौटे भवन॥
अब न फिर वन जायेंगे वर माँग लें, वर माँग लें॥
मुक्तक-
ज्योतिमय जीवन हो सबका, दो यही आशीष माता।
आपका वैभव सदा शुभ हो, यही हर जन मनाता॥
आप गणपति संग आ, पूजन यहाँ स्वीकार कर लें।
आपके बिन मातु इस जगती में, सुख कोई न पाता॥