गीत संजीवनी-5

तपकर ज्योति अखण्ड जलाई

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तपकर ज्योति अखण्ड जलाई- मेरे हिन्दुस्तान ने।
प्राणमयी ऊर्जा सरसाई- मेरे..........॥

यहाँ तपे ऋषि मुनि औ ज्ञानी- लिखी वेद की हितकर वाणी।
तप औ त्याग की रीति चलायी- मेरे....॥

मानव जभी शान्ति पथ भूला- संशय असमंजस में झूला।
तभी ज्ञान की गीता गायी- मेरे......॥

पड़ी शक्ति की बड़ी जरूरत- देश गुलामी से था आहत।
तब पैदा की लक्ष्मीबाई- मेरे....॥

फूल अहिंसा के रंग वाले- सत्य न्याय के हम रखवाले।
विश्व शान्ति की दी पुरवाई- मेरे....॥

करुणा और क्षमा का बल है- हृदय ओस से भी कोमल है।
प्यार भरी गंगा सरसाई- मेरे....॥

जो जीवन का लक्ष्य सुनहरा- दिया भक्ति का सागर गहरा।
दिये सूर और मीराबाई- मेरे....॥

मुक्तक-

ऋषि अवतार दिये हैं अगणित- पग तीरथ धाम है।
ओ भारत की माटी तुझको- शत् शत् कोटि प्रणाम है॥
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