पाओगे जीवन का सार, आओ गुरु चरणों में।
प्रभु चरणों में, सद्गुरु चरणों में॥
गुरुब्रह्मा, विष्णु, रुद्र परब्रह्म रूप हैं।
परब्रह्म रूप उनके करतब अनूप हैं॥
कर देंगे वे उद्धार॥ आओ..........॥
गुरु के श्री चरणों में, स्वार्थ रहित प्यार है।
निर्मल है प्यार विमल, गंगा की धार है॥
मिलता है माँ का दुलार॥ आओ............॥
होते हैं दोष दूर, जगते हैं सद्विचार।
जगते हैं सद्विचार, मिलते हैं संस्कार॥
होता है जीवन सुधार॥ आओ.........॥
भव बाधा दूर होये, मन में उल्लास छाय।
मन में उल्लास और, साहस अपार आय॥
नव बल का होता संचार॥ आओ........॥
समस्त विश्व नादात्मक है। -मतंग
प्राकृतिक रचना क्रम का प्रतिफल ही संगीत है।-- मनीषी हर्मीस