प्रभु के सुन्दर हैं सब नाम- सारा जग है उसका धाम।
जप लो राम राम राम- भज लो श्याम श्याम श्याम॥
अहुरमज़्द वह, वही राम है- वही परम प्रभु वही श्याम है।
वही रुद्र है खुदा वही है- वही बुद्ध घनश्याम॥
कोई नाम रूप अपना लो- पर उसका अनुशासन पा लो।
राम रहीम पुकारो कुछ भी- करो नहीं बदनाम॥
उसने सुन्दर बाग सजाया- मानव को माली ठहराया।
सब मानव उसके बेटे हैं- करें उसी का काम॥
वह है स्वयं प्रेम का सागर- क्या पाओगे द्वेष बढ़ाकर।
चाहे सिज़दा करो उसे तुम- चाहे करो प्रणाम॥
मुक्तक-
कबिरा कुँआ एक है- पनिहारिनीं अनेक।
बरतन न्यारे- न्यारे हैं, पर पानी सबमें एक॥