गीत संजीवनी-9

ये हैं भारत की महिलायें

<<   |   <   | |   >   |   >>
ये हैं भारत की महिलायें, धरती को स्वर्ग बना देंगी।
ये देवभूमि की ललनायें, जग के दुःख दर्द मिटा देंगी॥

ये वो हैं जिनके बच्चों के, बन जाते सिंह खिलौने हैं।
जो शरशैय्या पर यों सोते, मानो मखमली बिछौने हैं॥
है सिन्धु लाँघना खेल जिन्हें, सुरसरि भू- पर ले आते हैं।
रखकर खड़ाऊँ सिंहासन पर, जो नृप कर्तव्य निभाते हैं॥
यह लाजवाब- यह बेमिसाल, जिनका जीवन जलती मशाल।
युग क्रान्ति करें बच्चे इनके, यह ऐसा पाठ पढ़ा देंगी॥

इनने चाहा तो प्रभु खुद ही, गोदी में आकर खेले हैं।
पति छुड़ा लिया यम से इनने, हँस- हँस कर संकट झेले हैं॥
शिव आकर भी स्वीकार करें, ऐसा तप करने वाली हैं।
इनसे करना खिलवाड़ नहीं, खोना इनका विश्वास नहीं॥
शुभ ज्योतिमान, शुभ कीर्तिमान, इनने बदले विधि के विधान।
युग को है इनसे आशा जो, पूरा करके दिखला देंगी॥

जिसने कुदृष्टि डाली इन पर, वे इस दुनियाँ में रह न सके।
रावण हो या हो दुर्योधन, इनके शापों को सह न सके॥
जब- जब इनने हुंकार भरी, असुरों का साहस हिला दिया।
हो रक्तबीज या महिषासुर, हो मधुकैटभ या भस्मासुर॥
जब मिटे भ्रान्ति- तब मिले शान्ति, लानी है अब तो नयी क्रान्ति।
अब कमर कसी तम हरने को, घर- घर में ज्योति जला देंगी॥

<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118