युग- युग पूजित गायत्री माँ
युग- युग पूजित गायत्री माँ, ऐसी कृपा करो।
आज तुम ऐसी कृपा
करो॥
जन- जन के प्रति विमल भावना।
सबके हित की रहे कामना।
यह जीवन ही बने साधना।
मेरे मन में कर्तव्यों के, प्रति अनुराग
भरो॥
पूरब की लाली बन जाओ,
कलरव के स्वर में नित गाओ।
ज्योतित पावन
पन्थ बनाओ।
अन्धकार में बनकर मंगल, किरण देवि
बिखरो॥
मातृभूमि से प्यार हमें दो,
निर्मल हृदय उदार हमें दो।
अपना मृदुल दुलार हमें दो।
लक्ष्य दीप बन करके मेरे, मानस में
निखरो॥
मुक्तक-
विश्वमाता! मनुज पर कृपा कीजिए॥
देव माँ ‘देव’ उसको बना दीजिए॥
दे विमल भावना और सद्ज्ञान को॥
वेदमाता सुपथ पर चला दीजिए॥