गीत माला भाग ३

करना है जग का सुधार

<<   |   <   | |   >   |   >>
करना है जग का सुधार
करना है जग का सुधार, सुधार मेरी बहनों।
गढ़ना है नया संसार, संसार मेरी बहनों॥

राग, द्वेष की होली जलाओ, प्रेम प्यार का गुलाल उड़ाओ।
दीन दलित को गले लगाओ, आपस में सदभाव बढ़ाओ॥
ऐसा मनाओ त्यौहार, त्यौहार मेरी बहनों....॥

अनाचार को दूर भगाओ, अन्ध- मान्यताएँ विष हटा दो।
जीवन की रूढ़ियाँ मिटा दो, कुप्रथाओं की नींव हिला दो॥
कर दो कुमति पर प्रहार, प्रहार मेरी बहनों....॥

नयाज्ञान विज्ञान रचो तुम, और नया इतिहास लिखो तुम।
नये पर्व त्यौहार रचो तुम, नये रीति- रिवाज गढ़ो तुम॥
जीवन को लो तुम संवार,संवार मेरी बहनों....॥

भोली बनकर भार बनी हो, जीत त्याग कर हार गई हो।
अबला कहकर तुम्हें डराया, सबला हो तुम जान न पाया॥
दुर्गा की तुम हो अवतार, अवतार मेरी बहनों....॥

साहित्य, संगीत, कला विहीनाः।
साक्षात् पशुः पुच्छ विषाण हीन।।
साहित्य, संगीत और कला से हीन व्यक्ति बिना सींग, पूछ वाले पशु के समान है। (भर्तृहरि)

<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118