करो साधना जीवन में
करो साधना जीवन में, साधन भरे मनुज तन में॥
मानव देह कठिन है भाई, बड़ें भाग्य यह पाई।
भोगों में ही नहीं खप जाये, घिसती जाती क्षण में॥
सद्कर्मों में इसे लगाओ, फंसो नहीं माया में।
दीन- दुःखी के काम आ सको, प्रभु को देखो मन में॥
देव- संस्कृति विलख रही है, अश्रु भरे नैनन में।
युग- ऋषि ने आवाज लगाई, क्या सोच विचारे मन में॥
शारीरिक अवयवों को प्रभावित करने वाली संगीत से
बढ़कर कोई दूसरा वस्तु नहीं है।
-- डॉ. लीक