करते जिसका ध्यान रातदिन
करते जिसका ध्यान रातदिन, सुर नर मुनि मति प्राण।
गायत्री वेदों की जननी, करती जग कल्याण॥
गायत्री की गरिमा भारी, सत्य सनातन मंगल धारी।
ब्रह्मतेज को देने वाली, गायत्री की ज्योति निराली॥
जिसका नाम मात्र लेने से, पुलकित होते प्राण॥
दोषों का परिमार्जन करती, विषम वासना दुर्गुण हरती।
मंत्र मुकुटमणि माला धारी, मंगल मृदुल मोद मन हारी॥
ऋद्धि- सिद्धि समृद्धि अलौकिक करती सदा प्राण॥
गायत्री सम मंत्र न दूजा, जड़- चेतन सब करते पूजा।
सुख सुहाग की पावन प्रतिमा, गाते देव तुम्हारी महिमा॥
शेष शारदा नत- मस्तक हो, गाते हैं गुणगान॥
ज्ञान स्रोत गायत्री माता, आत्मशक्ति नव जीवन दाता।
महिमा अपरम्पार तुम्हारी, जपते जिसे देवव्रत धारी॥
जिसके आगे शीश झुकाते, ज्ञान और विज्ञान॥
ऊँच नीच का भेद न करती, जीवन रिक्त ज्ञान घट भरती।
जो आते हैं शरण तुम्हारी, खिल जाती जीवन फुलवारी॥
गायत्री माँ मुक्त हस्त से, देती है अनुदान॥