गीत माला भाग १०

बरस रहे अनुदान साधकों

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बरस रहे अनुदान साधकों

बरस रहे अनुदान साधकों, बरस रहे अनुदान।
युग- प्रज्ञा माँ गायत्री के, जनहिताय वरदान॥

युग साधक की अथक साधना, आज बन गई सिद्धि।
युग मंगल के लिए समर्पित, साधक की समृद्धि॥
आदि शक्ति माँ गायत्री की अतुलित शक्ति महान॥

सृष्टि- सृजेता ब्रह्मा जी की, भी सामर्थ्य विशिष्ट।
ऋषियों की आराध्य साधक, विश्वामित्र, वशिष्ठ॥
गायत्री, सावित्री महिमा, गाते वेद पुराण॥

प्राण दायिनी, शक्तिदायिनी, देती विमल विवेक।
कृपा दृष्टि पा करके साधक, बन जाता है नेक॥
सुप्त देवत्व जगाकर करती, ब्रह्मवर्चस प्रदान॥

सभी साधनाओं में उत्तम है गायत्री साध।
सहज साधना चलती रहती, है निर्विघ्न अबाध॥
सादा जीवन उच्च विचारों, का है सहज विधान॥

ऐसी माँ के स्नेहांचल में, बैठे मानव मात्र।
गायत्री के सिद्ध पुरुष की, पायें कृपा सुपात्र॥
दोनों की ही शक्ति कर रही, नवयुग का निर्माण॥
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