पैसे के बदले सदाचार
पैसे के बदले सदाचार जब घर- घर पूजा जायेगा॥
वह युग जल्दी ही आयेगा, वह युग जल्दी ही आयेगा॥
जब शुद्ध उपार्जन का पलड़ा, काले धन से भारी होगा।
सम्मानित होगा श्रमजीवी, हर संचय उपकारी होगा॥
जब मानव जान गँवाकर भी, अपना ईमान बचायेगा॥
जब सज्जनता की और समय की, धारा मोड़ी जायेगी।
असफल होकर भी जीवन में, जब नीति न छोड़ी जायेगी॥
विष वृक्ष असुरता का खुद ही, निर्जीव पड़ा मुरझायेगा॥
नारी की गरिमा बढ़कर जब, नर से ऊँची हो जायेगी।
होगी वह भार स्वरूप नहीं, सब को सन्मार्ग दिखायेगी॥
स्वीकार करेगा जो दहेज, वह महाभ्रष्ट कहलायेगा॥
आदर्श सभी का होगा जब, सादा जीवन ऊँचा चिन्तन।
ओजस्वी होगा तरुण रक्त, तज फैशन का दीवानापन॥
पशु की श्रेणी में होगा वह, जो इन्द्रिय सुख अपनायेगा॥
जब धर्म और विज्ञान यहाँ, मिलकर पूरक बन जायेंगे।
कर्तव्य परायण जन जो जब, सच्चे आस्तिक कहलायेंगे॥
जब स्वर्ग स्वयं विकल होकर, इस धरती की जय गायेगा॥