पथ के कष्ट उठाकर
पथ के कष्ट उठाकर आये, किया बड़ा उपकार।
हे शुभ अतिथि स्वागत बारम्बार॥
धन्य भाग्य हुए आज हमारे तुम जो आये।
हमने अतिथि जो देखा दर्शन पाये॥
हाथ जोड़कर विनती करते तुमसे बारम्बार॥
बच्चे होते मन के सच्चे, ये बोले मीठी वाणी।
अच्छे बुरे का काम नहीं, इन्हें सुनलें सब प्राणी॥
हाथ जोड़कर करते विनती, निशदिन बारम्बार॥
खुशियों के ये दिन देखो खिलते ही रहे।
फूलों के ये हार तुम्हें मिलते ही रहे॥
ये माला तुमको पहनायीं, इसे कर लेना स्वीकार॥
संगीत गंधर्व विद्या है। यह कला अति प्राचीन है। रावण ने भगवान शिव को संगीत के द्वारा ही संतुष्ट किया था। संगीत भावाभिव्यक्ति का एक साधन है। यह प्रेम सरसता है। मन में आशा का संचार करता है। इसकी ध्वनियाँ असंख्य हैं। उपकरण भी इसके असंख्य हैं। सभी प्राणियों के हृदय में संगीत समाया हुआ है। सबकी रसना पर संगीत नृत्य करता है। -स्वामी शिवानन्द