बहिनों दीपयज्ञ है आज
बहिनों दीप यज्ञ है आज, परम सौभाग्य हमारा है।
चलो सौभाग्य हमारा है, बड़ा सौभाग्य हमारा है॥
निकली कलश यात्रा भारी, दीप यज्ञ की है तैयारी।
जाग गई नगर की नारी, नारों से गूँजी गलियारी॥
नगरी को आदर्श वाक्य से, आज सँवारा है॥
दीपयज्ञ में खर्चा कम है, लेकिन भक्ति भाव संगम है।
दीप कर रहे ज्योति वरण हैं, यज्ञदेव का शुभ दर्शन है॥
अंधकार अनगिन दीपों को, लखकर हारा है॥
युगऋषि का संरक्षण होगा, दूर हमारा दुर्गुण होगा।
जन- जन सद् संकल्प करेगा, जीवन में परिवर्तन होगा॥
युग ऋषि ने कितना सुन्दर, यह भाव विचारा है॥