भारत का भाग्य जगायेंगी
भारत का भाग्य जगायेंगी, अब भारत ललनाएँ।
नारी का गौरव बढ़ायेंगी, अब भारत ललनाएँ॥
कन्या, भगिनी, पत्नी, माता, इनका रूप सदा सुख दाता।
सच्चा रूप दिखायेंगी, अब भारत ललनाएँ॥
कन्याएँ मुस्कान लुटाती, बहिनें निर्मल प्यार दिखाती।
गंगा सी लहरायेंगी, अब भारत ललनाएँ॥
ये तुलसी को सन्त बनाती, कालिदास को दिशा दिखाती।
पत्नी धर्म निभायेंगी, अब भारत ललनाएँ॥
पुत्रों को शेरों से सिखाया, और शिवा को शेर बनाया।
माँ की शान बढ़ायेंगी, अब भारत ललनाएँ॥
सब क्षेत्रों में आगे आकर, पुरुषों के संग कदम मिलाकर।
नव निर्माण करायेंगी, अब भारत ललनाएँ॥
यदि पिछड़े आधी आबादी, होती है सबकी बरबादी।
यह कलंक धो जायेंगी, अब भारत ललनाएँ॥
गीत, संगीत, नृत्य, गायन, वादन, साहित्य और कविता यह स्वस्थ मनोरंजन तथा मानसिक विकास के सर्वोत्तम साधन हैं।
-(अखण्ड ज्योति नवम्बर- 1991, पृष्ठ- 18)