मन तू राम नाम गुण गाले
मन तू राम नाम गुण गा ले।
अपने इस मन के मंदिर में, ज्ञान की ज्योति जला ले॥
मन ही मंदिर मन ही पुजारी, मन से पूजा होय।
मन से मन का दीप जला ले, प्रभु मिलेंगे तोय॥
मन का मनका फेर बावरे, मन का फेर हटा ले॥
मन की माया, मन की ममता, मन का मोह बिसार।
ओ मति मन्द अरे मन मूरख, मन का मैल उतार॥
मन मंदिर में दीप जलाकर, प्रभु के दर्शन पा ले॥
मन से कर ले, मनन अरे मन, नित्य सुबह औ शाम।
मन से साधना मनका मन से, कर मन से शुभ काम॥
उस प्रभु से मन से मिलने की, सच्ची लगन लगा ले॥
अपने मन मंदिर के मन तू, बन्द पड़े पट खोल।
मन के भीतर राम मिलेंगे, इधर- उधर मत डोल॥
क्यों होता है परेशान मन, गुरु मंत्र अजमाले॥
भयंकर सर्प भी बीन की स्वर लहरी सुनकर समर्पण कर देता है, ये नाद का प्रभाव है।