महाकाल के अब तो दोनों
महाकाल के अब तो दोनों, हाथ हुए तैयार।
औघड़दानी एक हाथ है, एक रूद्र अवतार॥
जय महाकाल, जय महाकाल, जय महाकाल॥
कालचक्र को बदल रहा है, उसका शिव संकल्प।
युग परिवर्तन की बेला है, कोई नहीं विकल्प॥
महाकाल के काल चक्र की, तेज हो रही धार॥
सहज साथ हो जायेंगे जो, पायेंगे वरदान।
औघड़दानी हाथ सहज दे, श्रेय और सम्मान॥
साधन श्रम श्रद्धा के कण में, पायेंगे अधिकार॥
महाकाल से विमुख हुए जो, चलकर टेढ़ी चाल।
जन प्रताड़ना और भर्त्सना से होंगे बेहाल॥
महाकाल की दण्ड व्यवस्था, के असह्य प्रहार॥
दोष दुर्गुणों दुष्प्रवृत्तियों को आओ दें त्याग।
सद्गुण सद्प्रवृत्ति सद्भावों में जागे अनुराग॥
यूँ देवत्व मनुज में, धरती पर लें स्वर्ग उतार॥
युग की बागडोर थामे हैं, महाकाल के हाथ।
समय अरे! सामान्य नहीं है, चूक न जायें साथ॥
जीवन धन्य बनाएँ अपना, कर संभव सहकार॥
मुक्तक-
महाकाल का शंख बज गया, समय बदलने वाला है।
मत संशय में समय गँवाओ, यह कब रुकने वाला है॥
बड़ा कीमती है यह क्षण क्षण, अरे! समय हो क्यों खोते।
फिर मत कहना हमें समय पर, सावधान तो कर देते॥