मेरा- मेरी करते- करते
मेरा- मेरी करते- करते, बीती रे उमरिया।
पल- पल बढ़ती जाये सर पर पापों की गठरिया॥
गर्भवास में बँधा पड़ा था, कीन्हा तब इकरार था।
नाम जपन का वादा करके, ही आया तब पार था॥
मोह माया में फँसा पड़ा है, बना फिरे बरतिया॥
बने राख का ढेरा ये तन, जिस पर तू इतराता है।
धन- दौलत कुटुम्ब कबीला, कोई संग न जाता है॥
अन्त समय हरिनाम भजन बिन, पछताए अनड़िया॥
बीत गई सो बीती रे अब, आगे का कर ख्याल तू।
कर उपकार भजन कर बन्दे, पढ़ ले जीवन सार तू॥
ना जाने कब लुट जायेगी, जीवन की बजरिया॥
मुक्तकः-
जो बीत गई सो बीत गई, तकदीर का शिकवा कौन करे।
जो तीर कमान से निकल गया, उसका पीछा कौन करे॥
घर में बजने वाले पियानों की आवाज सुनकर चूहे शान्ति से बिलो में रहते हैं। दुधारू पशु संगीत की ध्वनि सुनकर अधिक दूध देते हैं।
(डॉ.जार्जकेट विल्स, पशुमनो विज्ञानी)