गीत माला भाग ७

देवमानवों उठो! तुम्हीं पर

<<   |   <   | |   >   |   >>
देवमानवों उठो! तुम्हीं पर
देवमानवों उठो तुम्हीं पर, सबकी टिकी निगाहें।
ऊँचा मस्तक- चौड़ी छाती, फौलादी हैं बाँहें॥
सृजन शक्ति अद्भुत है तुममें, तुम हो युग निर्माता।
कब से तुम्हें पुकार रही है, प्यारी भारत माता॥
आज जागरण की वेला में, लो नूतन अँगड़ाई।
देश समाज माँगता तुमसे, शक्ति, भक्ति, तरुणाई॥
अनय आँधियाँ भी आजमालें, यदि अजमाना चाहें॥
जीवन जल से सींचनी है, मानवता की क्यारी।
मानवता के घर में लाना है, पूनम उजियारी॥
नैतिकता कर्तव्य निभाने, कालकूट पीजाना।
लेकिन बर्बरता के आगे, कभी न शीश झुकाना॥
जीते जी अनसुनी न करना, दीन- हीन की आहें॥
ज्ञान मशाल हाथ में लेकर, आगे बढ़ते जाना।
मन मन्दिर में संकल्पों के, पूजा थाल सजाना॥
अभिनन्दन उज्ज्वल भविष्य का, करने आगे आओ।
जन- मानस में अभिनन्दन को, श्रद्घा कमल खिलाओ॥
जीवन का हो लक्ष्य तुम्हारा, सबसे नेह निबाहें॥
नई विचार क्रान्ति करके तुम, मन की भ्रान्ति भगाओ।
आत्मत्याग,पौरुष,तप- बल से, सोया भाग्य जगाओ॥
जाति- पाँति के ऊँच- नीच के, सारे बन्धन तोड़ो।
रखो मनोबल अपना ऊँचा, विषधारा को मोड़ो॥
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118