तुम न घबराओ
तुम न घबराओ न आँसू ही बहाओ अब।
और कोई हो न हो पर मैं तुम्हारा हूँ॥
मैं खुशी के गीत गा- गा कर सुनाऊँगा॥
-गा- गा कर सुनाऊँगा॥
मानता हूँ ठोकरें तुमने सदा खाई,
जिन्दगी के दाँव में हारें सदा पाई।
बिजलियाँ दुःख की निराशा की सदा टूटी,
मन गगन पर वेदना की बदलियाँ छाई॥
पोंछ दूँगा मैं तुम्हारे अश्रु गीतों से,
तुम सरीखे बेसहारों का सहारा हूँ॥
मैं तुम्हारे घाव धो मरहम लगाऊँगा,
मैं विजय के गीत गा- गाकर सुनाऊँगा॥
खा गई इन्सानियत को भूख यह भूखी,
स्नेह ममता को गई पी प्यास यह सूखी।
जानवर भी पेट का साधन जुटाते हैं,
जिन्दगी का हक नहीं है रोटियाँ रूखी॥
और कुछ माँगो, हँसी माँगो खुशी माँगो,
खो गये हो दे रहा तुमको इशारा हूँ॥
आज जीने की कला तुमको सिखाऊँगा,
जिन्दगी के गीत गा- गाकर सुनाऊँगा॥