तू नहीं पीता बीड़ी
तू नहीं पीता बीड़ी को, बीड़ी तुझको पीती है।
पीकर के यह तुझको भाई, इस दुनियाँ में जीती है॥
इस बीड़ी के कई संबंधी, और रिश्तेदार भी है।
कैंसर,दमा,खाँसी,टी.बी., इसके ताबेदार भी है॥
श्मशान तक पहुँचाना सबको, यही इसकी ड्यूटी है॥
तेरे पीने से यह पहले, पैसे तेरे खाती है।
समय संकल्प और शांति, सभी लुटते जाती है॥
इन्सान को नहीं जिंदा छोड़ना, यही इसकी नीति है॥
तू निकाले इसका धुँवा, ये तेरा धुँवा निकालेगी।
खटिया पर लिटाकर, आखिरी तेरा दम उड़ायेगी॥
अब इसके हाथ जोड़ दे भाई, झूठी इसकी प्रीति है॥
पीना इसको छोंड़ दे भाई, ज्ञानामृत का काम करो।
बाकी रह समय जो भाई, गायत्री का जाप करो॥
ॐ भूर्भुवः स्वः- ।
छोड़के इसको आगे बढ़ो तुम, जो बीती सो बीती है॥
संगीत से आत्मा की मलीनता धुलती है। -आवेर वेच