गीत माला भाग ८

दीपकों की कमी कुछ

<<   |   <   | |   >   |   >>
दीपकों की कमी कुछ
दीपकों की कमी कुछ नहीं है, खोजने में कहीं कुछ कसर है।
आओ मिलकर उन्हें हम तलाशे, दीप से रिक्त कोई न घर है॥
दीप हैं कुछ नये कुछ पुराने, उनमें छोटे भी हैं कुछ बड़े हैं।
किन्तु क्षमता स्वयं की, अनगिनत आज निष्क्रिय पड़े हैं॥
खोजकर हम उन्हें फिर सँवारे, जिनकी निस्तेज नीची नजर है॥
शर्त है हम स्वयं प्रज्वलित हों, अन्य दीपक सभी जल सकेंगे।
जबकि हम अग्रगामी बनेंगे, अन्य भी साथ में चल सकेंगे॥
बात दुनियाँ उसी की सुनेगी,जिसका निर्भीक निःस्वार्थ स्वर है॥
घोषणा यह महाकाल की है, वह सतत स्नेह की शक्ति देंगे।
पूर्ण निष्ठा लिए लक्ष्य के हित, साथ में साहसी व्यक्ति देंगे॥
दीप से दीप जलते रहेंगे, धार में ज्यों लहर से लहर है॥

संगीत मनुष्य की आत्मा है। उसे अपने जीवन से अलग न करें तो आत्मोत्थान के स्वर्गीय सुख से भी हम कभी वंचित न हों। शास्त्रों में शब्द और नाद को ‘ब्रह्म’ कहा है। निःसंदेह स्वर साधना एक दिन ‘अक्षरब्रह्म’ तक पहुँचा देती है। - वाङमय१९ पृ.५.४

<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118