दीपयज्ञ की दीप ज्योति सा
दीपयज्ञ की दीप ज्योति सा, जीवन को चमकाओ।
पंक्तिबद्ध दीपों सा जीवन में, अनुशासन लाओ॥
हर दीपक की एक कहानी, सतत मौन हो जलना।
बूंद- बूंद ही तेज मिले, उसको पीकर ही पलना॥
उस पर भी देना प्रकाश यह,क्रम तुम भी अपनाओ॥
लेना कम, देना ज्यादा है, रीति देवताओं की।
बननी चाहिए यह नीति, हम बहनों भ्राताओं की॥
देने में आनन्द बहुत है, यह विश्वास जगाओ॥
दीप मिटाते अन्धकार, हम सब अज्ञान मिटायें।
यह भी मन का अन्धकार है, इसे मेट सुख पायें॥
मन का भवन ज्ञान के मणि, मुक्ताओं से चमकाओ॥