देव- संस्कृति संदेशों को
देव संस्कृति संदेशों को, घर- घर में पहुँचाना है।
संस्कारों से सोई आत्मा को, फिर पुनः जगाना है॥
पहले संस्कार पुंसवन आता, माता की जिम्मेदारी है।
बच्चे को देवता बनाने की, पहली तैयारी है॥
करो जतन नारी मिलकर, देव संस्कृति को बुलाना है॥
दूसरा संस्कार नामकरण का, शब्दों का विज्ञान है।
तीसरा संस्कार अन्नप्राशन का, मन आत्मा निर्माण है॥
चौथा संस्कार मुण्डन शिखा का, सद्बुद्धि बीज लगाना है॥
पंचम संस्कार विद्या आता, वेदों का अनुदान है।
छठवाँ संस्कार यज्ञोपवीत का, देवत्व गुण निशान है॥
सातवाँ गुरु दीक्षा महान से, जीवन सफल बनाना है॥
आठवाँ संस्कार युगल जोड़ी का, सुन्दर उपवन सजाना है।
मानव से देवता बनाने का, यह संदेशा लाना है॥
जन्म दिन से जीवन जीने का, यह विधान अपनाना है॥
संगीत की गरिमा असीम है। उसे नाद ब्रह्मशब्द कहकर भगवान के समतुल्य ठहराया गया है।