धधक उठी तन मन में
धधक उठी तन मन प्राणों में, ज्ञान यज्ञ की ज्वाला है।
होगा युग निर्माण नया अब, कौन रोकने वाला है॥
ऐसी नई लहर आयेगी, माया बंधन टूटेंगे।
सदाचार की ठोकर खाकर, पाप ताप सब फूटेगें॥
असुरों की छाती दहलेगी, राम बाण अब छूटेगा।
भस्मासुर मानव समाज के, पत्थर से सिर फूटेगा॥
आज तीसरा नेत्र भयानक, शिव का खुलने वाला है।
शान्तिकुञ्ज में देव दूत, अब ऐसा रास रचायेगा।
तिमिरकुंज के दम्भ किला में, ऐसा आग लगायेगा॥
छल प्रपंच पाखण्ड दैन्य दुःख, खण्ड- खण्ड हो जायेगा।
अमर अखण्ड ज्योति के आगे, तम बल शीश झुकायेगा॥
ज्ञान प्रकाश पूर्व से पश्चिम, आज फैलने वाला है।
प्रगति पथ में कर्म कन्हैया, आगे कदम बढ़ायेगा।
युग चारण प्रज्ञा अभियान की, शंख बजाता जायेगा॥
नैतिकता तप अनुशासन की, अमर ध्वजा फहरायेगी।
देश समाज उठेगा ऊपर, स्वर्ग धरा पर आयेगा॥
आज विचार क्रान्ति नव करने, चेतन आने वाला है॥