धन्यभूमि है, यह पुण्य भूमि है
धन्यभूमि है, यह पुण्य भूमि है।
युग के अवतार की यह जन्मभूमि है॥
इसी भूमि से प्रकाश, विश्व को मिला।
आत्मज्ञान का विकास, विश्व को मिला॥
भावना पवित्र यहीं, अकुंरित हुई।
साधना की बेल यहीं, पल्लवित हुई॥
विश्व के परिवार की यह, जन्मभूमि है, युग के अवतार....है॥
तप की तपस्थली पर खेलता रहा।
प्यार भेदभाव बिन, उड़ेलता रहा॥
ज्योति जो यहाँ जली, मशाल बन गयी।
क्रांति लहर ज्वार सी, विकराल बन गयी॥
सबके विस्तार की, यह जन्मभूमि है, युग के अवतार....है॥
यहाँ लोकमंगल की, साधना पली।
सेवा के धर्म की, आराधना पली॥
धरती पर स्वर्ग के, सपने बुने गये।
दिव्य गुणों के यहाँ, सुमन चुने गये॥
जग के उद्धार की, यह जन्मभूमि है, युग के अवतार....है॥
गुरुवर का यहीं, पुण्य अवतरण हुआ।
नवयुग की सुदृढ़ नींव का, भरण हुआ॥
आओ इस पुण्यभूमि को, नमन करें।
हम दृढ़ संकल्प सृजन का, वरण करें॥
नवयुग- श्रृंगार की यह, कर्मभूमि है, युग के अवतार....है॥