धरती से ऊँचा पर्वत है
धरती से ऊँचा पर्वत है, पर्वत से आसमान रे।
सबसे ऊँचा देश हमारा, प्यारा हिन्दुस्तान रे॥
जहाँ हिमालय हाथ बढ़ाये, जग का भला मनाता है।
हिन्द महासागर पर्वत में, लहरों का फूल चढ़ाता है॥
बार- बार जन्मा करते, इस धरती पे भगवान रे॥
यहीं लड़ी थी महाकाल, बनकर झांसी की रानी।
कुंवर सिंह, तात्या टोपे, नाना ने दी कुर्बानी॥
जहाँ भगतसिंह, वीर शिवा, देते रहते बलिदान रे॥
पंचशील है विश्व शान्ति का, नव संदेश सुनाता।
यहीं मिलाकर मानवता को, अब है जी ललचाता॥
रामराज्य के लिये सदा सब, करते अर्पण प्राण रे॥