ध्यान से सुनलो
ध्यान से सुन लो प्रज्ञा पुराण, दिव्य युग ऋषि की वाणी रे॥
दिव्य युग ऋषि की वाणी रे, ज्ञान भक्ति की खानी रे॥
यही है इस युग की गीता, इसी में संस्कृति की सीता॥
इसी में छिपा वेद विज्ञान, भरा है सारे जग का ज्ञान।।
कि सुनकर मिटे घोर अज्ञान, सुखी हो जाये प्राणी रे॥
यही है वेद ऋचा सुखधाम, इसी में राम और घनश्याम।
मिटाती भेद- भाव मन का, हटाती कल्मष है तन का।।
सुखी हो मानवता सारी, ऐसी सुख खानी रे।।