मानव जीवन की गरिमा को मानव जीवन की गरिमा को, पहचान सको तो पहचानो।
यह जीवन है अनमोल बड़ा, चाहे मानो या न मानो॥
इस जीवन को पाकर के भी, कर पाये अच्छे काम नहीं।
खेला- खाया, सोया जीभर, कर पाये प्रभु का काम नहीं॥
कौड़ी- कौड़ी धन जोड़ रहे, हे! धन- वैभव के दीवानों॥
क्या लेकर आये थे जग में, क्या लेकर के तुम जाओगे।
करते हो पाप अधिक इनको, लेकर के यहाँ समाओगे॥
सत्कर्म करो, सुख दो सबको, हे परम पिता की सन्तानों॥
सद्बुद्धि प्राप्त करके ही तुम, कर सकते अच्छे काम यहाँ।
सत्कर्मों के द्वारा प्राणी, पाओगे तुम सम्मान यहाँ॥
परमेश्वर की अनुकम्पा फिर, बरसेगी यह निश्चय जानो॥
यह जन्म दिन और दीपयज्ञ इस हेतु यहाँ पर आया है।
नर- नारी, बालक- वृद्ध सभी के लिए बहुत कुछ लाया है॥
गायत्रीमय कर लो खुद को, यह बात पूज्यवर की मानो॥
गायन की अमूल्य निधि देकर परमात्मा ने मनुष्य की पीड़ा को कम किया है।