रह न साधना जाय अधूरी
रह न साधना जाय अधूरी, कहता उर में राम।
युग निर्माण करो सब मिलकर, यह हरि का ही काम॥
आत्म सुधार करें जप तप से, निश्छल प्यार करें हम सबसे।
नाम जपें पर काम न भूलें, प्रभू के संकेतों पर झूलें॥
कर्मक्षेत्र में ही अर्जुन ने, पाया सच्चा श्याम॥
गीत न अब सुरपुर के गावो, भूतल को ही स्वर्ग बनावो।
उसने ही जग का रण जीता, वही समझ पाया है गीता॥
जीवन रथ की जिसने दे दी, हरि के हाथ लगाम॥
आये जितने भी बलिदानी, वह घर- घर बन गई कहानी।
राम काज में जो खो जाये, वही हनुमान हो जाए॥
त्यागी तो पारस बनता है, खोता नहीं छदाम॥
कर अपनी प्रिय वस्तु समर्पण, रचो यज्ञ मय सारा।
जो कुछ भी हम प्रभु से पायें, उसका सदुपयोग कर जायें॥
कीचड़ को भी कंचन कर दें, वही पुण्य अभिराम॥
संगीत की स्वर लहरियों का जादू जीवन में उल्लास की अनोखी सृष्टि तक ही सीमित नहीं है, इसका स्पर्श रोग- निवारक भी है।