राखी के हर धागे में (ब)
(रक्षा बन्धन)
राखी के हर धागे में है, अनुपम प्रेम समाया।
जन- जन में यह भाव जगाने, रक्षा बन्धन आया॥
भाई और बहिन का रिश्ता, गरिमामय अति पावन।
बना दिया राखी ने इसको, अति पवित्र मनभावन॥
इस रिश्ते की गहराई, कोई भी समझ न पाया।
बहनों के मन के तड़ाग में, सुन्दर कमल खिले हैं।
प्यार और उपहार सहित, जो भैया आज मिले हैं॥
दोनों के ही तन- मन में, सुख का सागर लहराया।
चन्दन रोली, अक्षत, दीपक, पुष्प सुगन्ध मिठाई।
राखी थाल सजा बहनों ने, खुशी अलौकिक पाई॥
आज बहिन के मन को केवल, भाई ही है भाया।
राखी बँधवाने को मेरे भैया हाथ बढ़ाओ।
सदा करोगे मेरी रक्षा, यह संकल्प उठाओ॥
सदा बँधाते रहना राखी, जैसे आज बँधाया।
भाई के कर्तव्यों का मैं, सदा पालन करूँगा।
रहूँ कहीं भी बहना, मन से तेरे पास रहूँगा॥
मुझे बुलाती रहना बहना, जैसे आज बुलाया।