व्यसन हमारी सभी शक्तियाँ
व्यसन हमारी सभी शक्तियाँ क्षीण बनाते हैं।
तन से दुर्बल, मन से हमको दीन बनाते हैं॥
कोई भी हो व्यसन, हमें कमजोर बना देता।
उन्हें छुपाने अनचाहे ही, चोर बना देता॥
गाँजा, भाँग, तम्बाकू, बीड़ी, मदिरा जो पीते।
जीते व्यसनों हेतु, स्वयं के लिए नहीं जीते॥
जेब काटते और बुद्धि को हीन बनाते हैं॥
चौपड़, ताश खेलना अपना समय गँवाना है।
हीरों जैसे क्षण, कौड़ी के मोल बिकाना है॥
ताश अँगुलियाँ पकड़ हमारा हाथ पकड़ता है।
बरबादी को जुआ, हमारा साथ पकड़ता है॥
बच्चों को, बरबादी के आधीन बनाते है॥