सप्त महाव्रत धारण करके
सप्त महाव्रत धारण करके, चिन्तन प्रखर बनाएँ।
युगऋषि के प्रज्ञा प्रकाश की, ज्ञान मशाल जलाएँ।।
सप्त क्रान्तियाँ मचल रहीं, पुरुषार्थ प्रबल करना है।
गुरु अनुशासन में चलकर अभियान सफल करना है।।
गायत्री की चेतना शक्ति सभी ओर फैलाएँ।।
प्रतिभाओं की पड़ी जरूरत, लोभ- मोह को छोड़े।
मानवता के लिए समय दें, आलस बन्धन तोड़ें।।
वैज्ञानिक, कवि, वक्ता, गायक, सृजन श्रेष्ठ अपनाएँ।।
सृजन शिल्पियों हाथ बँटाओ, सतयुग फिर लाना है।
युगधर्म आज है समयदान, सबको यह समझाना है।।
जग में पीड़ा- पतन बहुत है, मिलकर दूर भगाएँ।।
देवसंस्कृति के चिन्तन को, घर- घर में पहुँचाना है।
समयदान व अंशदान का क्रम, सबको अपनाना है।।
ज्ञानयज्ञ की ज्योति जलाने, आगे कदम बढ़ाएँ।।