सत्संगति अति प्यारी
जगत में सत्संगति अति प्यारी।
जीवन बोध कराती नर को, देती है सुख भारी॥
चौरासी के चक्कर काटे, तब आई यह बारी।
सत्संगति से कट जायेगी, यम की विपदा भारी॥
गणिका, गिद्ध अजामिल तर गये, संग की महिमा न्यारी।
रत्नाकर का जीवन बदला, दी रामायण सुख कारी॥
सत्संगति तो पारसमणि है, देती नव उजियारी।
सत्संगति भव की संजीवनी है, यह अति गुणकारी॥