गीत माला भाग १५

सुनो! यह छात्र जीवन

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सुनो! यह छात्र जीवन

सुनो! यह छात्र जीवन, ज्ञान पाने का समय है।
और व्यक्तित्व को उज्ज्वल बनाने का समय है॥

अभी तक खेलने, खाने, मजे करने जुटे थे।
वही करते रहे जो भाव भी मन में उठे थे॥

नहीं यह सोचने पाये कि जीवन लक्ष्य क्या है?
मनुज जीवन मिला है तो अरे! उद्देश्य क्या है?
अरे! यह सप्त शक्ति को जगाने का समय है॥

नहीं है अन्य शिक्षण संस्थाओं सा यहाँ कुछ।
यहाँ तो देव संस्कृति से परिष्कृत है सभी कुछ॥

ये गुरुकुल युगऋषि की कल्पना साकार करता।
जहाँ पर साधना से सिद्धियों का लाभ मिलता॥
यहाँ से दिव्यता, आलोक पाने का समय है॥

करें! होकर समर्पित ज्ञान अर्जन साधना को।
और तप, त्याग, संयम, शील की आराधना को॥

करें उत्कृष्टता, विकसित, विचारों भावना में।
जगाएँ लोकमंगल भावना संवेदना में॥
चरित्र, चिन्तन उठाने को, तपाने का समय है॥

तुम्हीं पर देव संस्कृति की अरे! आँखें लगी है।
नए निर्माण की संभावनाएँ भी टिकी है॥

यहाँ से ज्ञान का भण्डार लेकर के निकलना।
स्वयं के आचरण में दिव्यता लेकर उभरना॥
विवेकानन्द सी गरिमा दिखाने का समय है॥

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