गीत माला भाग १६

हार बैठे अगर आप

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हार बैठे अगर आप
हार बैठे अगर आप हर ओर से,
तो परम पूज्य गुरुदेव तब आइये।
घेर रक्खा तुम्हें घोर तम ने अगर,
तो दमकता दिवाकर यहाँ पाइये॥
नाव भवसिंधु में फँस गई हो अगर,
और तूफान मे घिर गई हो अगर।
पूज्य गुरुदेव के हाथ में सौंपिए,
देखते- देखते सिंधु तर जाइये॥
मन मानता आपका यदि कहा,
और धोखा सदा आपको दे रहा।
सौंपिए तो जरा पूज्य गुरुदेव को,
मन सा सच्चा न साथी कोई पाइये॥
आपको हैं शिकायत सभी से यही,
स्वार्थ के ही सगे है सभी के सभी।
आप ही स्वार्थ को छोड़कर देखिए,
फिर तो वो भी मिले जो नहीं चाहिए॥
पूज्य गुरुदेव का आम दरबार है,
और सबके लिए ही खुला द्वार है।
सहज स्वीकार है हर समर्पण यहाँ,
आइये और भी साथ में लाइये॥
हम तो अपना तजुर्बा बताते तुम्हें,
था गिना जा रहा पापियों में हमें।
उनके चरणों की गंगा में सब धुल गये,
आप कैसे भी हो आइये नहाइये॥
अब तो उनसे मिलन बहुत आसान है,
सूक्ष्म स्थूल से और बलवान है।
भाव विह्वल हृदय से पुकारें उन्हें,
वे चलें आयेंगे मत कहीं जाइये॥
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