हे माता भगवती तुम्हारी
हे माता भगवती तुम्हारी, करुणा अपरम्पार है।
जग में, कण कण में माँ तेरी, करुणा का संचार है॥
मूर्तिमान हो भक्ति तुम, महाकाल की शक्ति तुम।
ममता की अभिव्यक्ति तुम, समझ रहा संसार है॥
शान्तिकुञ्ज की शान्ति तुम,तपोभूमि की कान्ति तुम।
प्रज्ञायुग की क्रान्ति तुम, जो जग का उपचार है॥
तुम श्रद्धा की धार हो प्रज्ञा का संचार हो।
निष्ठा शक्ति अपार हो, बही त्रिवेणी धार है॥
ऋद्धि सिद्धि की दाता हो, मंगल मोद प्रदाता हो।
सारे जग की माता हो, पूज रहा संसार है॥