हे सृजन शक्ति नारी
हे सृजन शक्ति नारी, यह तथ्य मत भुलाओ।
विकसित करो इन्हें अब, अनुदान श्रेष्ठ पाओ॥
यह देश था मुकुटमणि, जब थी महान नारी।
तप, ज्ञान युद्ध सबमें, छवि थी पुनीत न्यारी॥
नारी की शक्तियों को, यूँ ही नहीं गँवाओ॥
तप से हुए भगीरथ, अनुसुइया कम नहीं है।
गौरी का तप भुला दो, यह न्याय तो नहीं है॥
दुर्गा, सरस्वती को, भोग्या नहीं बनाओ॥
ज्ञानी है पुरुष यदि तो, नारी भी कम कहाँ है।
घोषा अरून्धती सी, ऋषि देवियाँ यहाँ है॥
गार्गी या भारती का, अधिकार मत भुलाओ॥
बच्चों में तेज भरना था, काम देवियों का।
पुरुषों से कम नहीं था, तप शौर्य नारियों का॥
सीता शकुन्तला को, मत कैद में बिठाओ॥