गीत माला भाग १६

हम सब बालक हैं

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हम सब बालक हैं

हम सब बालक हैं नादान, हे परमेश्वर दो सद्ज्ञान॥

मानव जीवन श्रेष्ठ महान, उस पर दीजै समुचित ध्यान।
इसका करले सद्उपयोग, फिर न मिलेगा ऐसा योग॥
करें साधना बनें महान, हे परमेश्वर दो सद्ज्ञान॥

लोभ मोह छल या आवेश, इनसे उपजे सभी क्लेश।
नहीं विरोधी से भी द्वेष, हो अपना सिद्धान्त विशेष॥
सबको दें समुचित सम्मान, हे परमेश्वर दो सद्ज्ञान॥

कर सके जो जन कल्याण, उस नर से अच्छा पाषाण।
ऊँची विद्या ऊँचे बोल, सदाचार बिन माटी मोल॥
सच्चरित्र हों बनें महान, हे परमेश्वर दो सद्ज्ञान॥

अधिकारों का वह हकदार, कर्तव्यों से जिसको प्यार।
करें नहीं ऐसा व्यवहार, जो न स्वयं को हो स्वीकार॥
सबसे सबका हो उत्थान, हे परमेश्वर दो सद्ज्ञान॥

श्री भगवान शंकर द्वारा नाद अवतरित हुआ, नाद से मन तथा मन से काल एवं काल ही ताल शब्द से प्रख्यात हुआ।
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