जिनके चिंतन पुरुषार्थ और, सद्भाव विश्व हित लगते हैं।
वे मानव भूसुर कहलाते, उन पर अनुदान बरसते हैं॥
मिलता अनुदान उन्हें ऐसा, जिनके आगे सब धन फीका।
सम्मान और सहकार सदा, मिलता है उसको जगती का॥
दोहा- लक्ष्य रहा जिनका सदा, जन- जन का कल्याण।
बरसाते हैं देवता, खुद उन पर वरदान॥