गायत्री की पुण्य जयंती
गायत्री की पुण्य जयंती, यूँ इस बार मनाएँ।
जाग जाएँ जिससे जन- जन, में नव उमंग- आशाएँ।।
आज विसंगतियाँ फैली हैं, भारी हुईं हवाएँ।
घिरी समस्याओं से दुनियाँ की अब सभी दिशाएँ।।
युगऋषि द्वारा दिये गये हम सूत्र उन्हें समझाएँ।।
जिनके तप ने गायत्री को जन- जन तक पहुँचाया।
मुक्त कराकर उस विद्या को सबको सुलभ बनाया।।
सर्वसुलभ शिक्षाएँ उनकी, हम सब भी अपनाएँ।।
पहले हम प्रामाणिक बनकर, स्वयं सामने आएँ।
तेजोमय हो सभी हमारे, चिंतन -भाव क्रियाएँ।।
गायत्री विद्या को अपना सब आधार बनाएँ।।
जन्मशताब्दी में विद्या का भाव समाहित होगा।
तब समाज में स्वतः परिष्कृत प्राण प्रवाहित होगा।।
दूर सभी होंगी दुनियाँ में व्याप्त विषम विपदाएँ।।