गुरुदेव जब पास खड़े
गुरुदेव जब पास खड़े, मैं आस करूँ किसकी किसकी।
जब बाँह गही गुरुदेव मिले, तब बाँह गहूँ किसकी किसकी॥
जब नाथ मेरे दिलदार मिले, मैं खोज करूँ किसकी किसकी।
जब रूप अनूप छटा उनकी, छवि और लखूँ किसकी किसकी॥
जब प्रीति अपार लखी उनकी, फिर प्रीति चहूँ किसकी किसकी।
जब बाँकि अदा ही सदा उनकी, फिर प्रीति चहूँ किसकी किसकी॥
जब दासि भई शरणे उनकी, फिर शरण गहूँ किसकी किसकी।
जब चरण शरण गुरुदेव मिले, फिर शरण चहूँ किसकी किसकी॥