गीत माला भाग ४

गुरु की नज़रे करम

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गुरु की नज़रे करम
उनकी नज़रे करम का असर देखिये।
प्यार देता हुआ हर बशर देखिये॥
देखती तक न थी जिसको कोई नजर।
बेकरार देखने हर नजर देखिये॥
उनकी नजरें करम छा गई है जिसे।
उसको बढ़ता हुआ हर कदर देखिये॥
उनने सोना बनाया है लोहे को छू।
वह दमकता दीखेगा, जिधर देखिये॥
उनकी नजरें करम पर जिसे फक्र है।
उसको भटका इधर न उधर देखिये॥
प्यार देता दिखेगा सभी को अरे।
प्यार से छल छलाता जिगर देखिये॥
देखियेगा उसे अपना सुख बाँटते।
दुःख बँटाने को नजरों को तर देखिये॥
बस यही है फरिश्तों की पहचान भी।
वो जिधर जाये जन्नत उधर देखिये॥
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