कण- कण में समाये हो
कण- कण में समाये हो, तुम्हें हमने पहचाना है।
मिलने को प्रभु तुमसे, हुआ यह मन बेगाना है॥
कर्तव्यों के व्यस्त पलों पर, भूले थे हम याद।
आ ना सका था मुख पर, मन के भावों का अनुवाद॥
जाना है वहीं जिसकी शरण में, ठौर ठिकाना है॥
पूर्ण करेंगे शीघ्र रहे जो, शेष तुम्हारे काम।
हर प्यासे मन को भर देंगे, ममता से अविराम॥
व्याकुल मानवता का हमें, दुःख दर्द बँटाना है॥
करना है साकार तुम्हारा, नवयुग का अनुमान।
कोष तुम्हारे से देने हैं, इस जग को अनुदान॥
हर बन्जर धरती पर, जल- सा सावन सरसाना है॥
पहले पीछे छूटे हुओं को, करना है आहवान।
हमें अभी संगवाना जो भी, बिखरा है सामान॥
दायित्व निभाना है सफर पर, तब ही जाना है॥
दुधारू पशु को दुहते समय यदि संगीत की ध्वनि होती रहे तो वे अपेक्षाकृत अधिक दूध देते हैं।
- पशु मनोविज्ञानीडॉ. जार्जकेर विल्स