कर्म जैसे करोगे
कर्म जैसे करोगे, फल भी वैसे मिलेंगे।
नीम बोने वालों को, आम कैसे मिलेंगे॥
है ये दुनियाँ का मेला, सारा कर्मों का खेला।
कर्म ही इस जगत में, सदा करता झमेला॥
पाप और पुण्य जैसे वैसे, सुख- दुःख मिलेंगे॥
कोई सोता है भूखा, कोई खाए न सूखा।
कर्म ये भेद डाले, कर्म का खेल अनोखा॥
ये नचायेंगे जैसे, वैसे हम नाच लेंगे॥
है जो कर्मों से बचना, मोह माया को तजना।
भावना शुद्ध करके, प्रभु की भक्ति में लगना॥
प्रभु के द्वार पर जा, पाप सब ही कटेंगे॥
संगीत विश्व का नैतिक विधान है, वह विश्व को दिव्य सौन्दर्य प्रदान करता है। मानव मस्तिष्क में नवीन रंग भरता है और भावनाओं में रंगीन उड़ान, गायनाभिराम सुषमा एवं निराशा के प्रांगण में आनन्द का प्रपात प्रवाहित करता है तथा विश्व के प्रत्येक पदार्थ में जीवन और उत्साह के अभिनव स्फूरणों को मुखरित करता है।
-(मार्टिन लूथर)