गीत माला भाग ४

खून के सरहदों पर

<<   |   <   | |   >   |   >>
खून के सरहदों पर
खून के सरहदों पर जलाओ दिये।
फूल बन जाओ अपने वतन के लिये॥
तुम वतन के हो सच्चे सिपाही अगर।
जान कुरबान कर दो वतन के लिये॥
प्यार की झोली में एकता के कमल,
है खिलाना तुम्हें दिल में ये सोच लो।
देश में जन्म लेगी सहकारिता,
फिर न तरसेगा कोई कफन के लिये॥
हाथ हिन्दू है और है मुसलमान दिल,
पांव सिक्ख और ईसाई है इस देश का।
एक इन्साँ के जैसा है हिन्दोस्तां,
चारों कौमे हैं इसके बदन के लिये॥
तुम खुदा को पुकारो या भगवान को,
गॉड को दो सदा या कि रहमान को।
एक है अगर एक धारा बनो,
और बह जाओ गंगा जमन के लिये॥
जन्म वीरों को देती है वो कोख से,
देती हैं कुर्बानियाँ शौक से।
दिल के माथे पे बिंदियाँ लगाती है दो,
एक वतन के लिये एक सनम के लिये॥
देश आजाद हैं और ना आजाद हम,
दुनियाँ को मिन्नत का पैगाम हम।
जब कलम हम उठायेंगे अपना ए ईश,
गीत लिख देंगे अपने वतन के लिये॥
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118